कडुआ है धर्म का मर्म

ए.पी. भारती

कौरव और पांडवों मेें लड़ाई चल रही थी। कर्ण भार्गव अस्त्रा से पांडव सेना पर ऐसे टूटे कि चारों और हाहाकार मच गया। धर्मराज युधिष्ठिर का रक्षा कवच, धनुष-वाण और रथ और अश्व सब कुछ छिन्न-भिन्न हो गया। वे स्वयं बुरी तरह घायल होकर बमुश्किल अपनी छावनी पहंुचे। वे पीड़ा से छटपटा रहे थे।
यह दुखद समाचार युद्धरत अर्जुन को मिला तो वे तुरंत कृष्ण के साथ उनके पास आए। युधिष्ठिर को भ्रम हुआ कि अर्जुन कर्ण का वध कर यहां आए हैं। वे अर्जुन की प्रशंसा करने के साथ-साथ उनके अस्त्र गांडीव की भी तारीफ करने लगे।

अर्जुन प्रसन्न तो हुए पर उन्होंने कहा, कर्ण, अभी मरा नहीं है। मैं तो आपके घायल होने का समाचार सुन कर आपको देखने चला आया। अभी जाऊंगा और कर्ण का वध करूंगा।

यह सुनकर युधिष्ठिर को बुरा लगा। वे रूष्ट होकर बोले, ‘अर्जुन! तुमसे कुछ नहीं होगा। अच्छा यही होगा कि तुम गांडीव को उतार फेंको।

यह सुन अर्जुन को भी गुस्सा आ गया। उन्होंने कमर में लटकी तलवार उतार कर मयान से बाहर निकाल ली। इस पर कृष्ण ने पूछा, ‘क्या हुआ, किस पर तलवार का वार करना चाहते हो।’

अर्जुन ने कहा, माधव मैंने प्रतीज्ञा की थी कि जो कोई भी गांडीव का अपमान करेगा, उसका मैं वध कर दूंगा। बड़े भय्या ने मेरे गांडीव का अपमान किया है, अतः मैं इनके अभी प्राण ले लूंगा।’

कृष्ण ने गंभीर हो कर कहा,‘ यह बड़ी गंभीर बात है कि तुम धर्म का मर्म समझने का दावा करते हो और आचरण बच्चों जैसा कर रहे हो। आदर्श वाक्य ‘जिसमें हिंसा नहीं, वही सत्य है’, को तुम भूल गये और बिना ऊंच-नीच विचारे भाई का वध करने को तलवार हाथ में ले ली।

अर्जुन किंकर्तव्यविमूढ़ की तरह कृष्ण को देखने लगे। उनकी मनोदशा भाप कर कृष्ण ने आगे कहा – अर्जुन तुम अपनी प्रतीज्ञा अवश्य पूर्ण करो पर ऐसा कार्य करो कि तुम्हारी प्रतिज्ञा भी पूरी हो जाए और अधर्म का कार्य भी न हो। अर्जुन श्रुतिवाक्य है, ‘अपने से बड़े को तंू कहकर पुकारना भी उसके वध के बराबर है अतः तुम युधिष्ठर को तंू कहकर अपने प्रण का पालन और अपने मन की संतुष्टि कर सकते हो।’

बात अर्जुन की समझ में आ गई। उन्होंने बड़े भाई युधिष्ठिर को तू कहकर पुकारा और कुछ खरी-खोटी सुना दी। अर्जुन के मन का गुबार निकल गया। फिर अर्जुन कृष्ण के साथ युधिष्ठिर की छावनी से निकल गये। बाद में अर्जुन को अपराध बोध सताने लगा । वे अपनी छावनी में विश्राम के क्षणों में सोचने लगे, आज मुझसे बहुत बड़ा पाप हो गया। पूज्यनीय बड़े भ्राता जिन्हें धर्मराज कहा जाता है, का मैंने अपमान किया है। मुझे धिक्कार है । मुझे जीने का अधिकार नहीं है।

अर्जुन को स्वयं पर ही बड़ा क्रोध आया। इस दौरान उनकी सांसें तेज-तेज चलने लगीं। एक झटके में तलवार उनके हाथ में आ गई। वे अपना वध करना चाहते थे। कृष्ण पास में ही थे। यह स्थिति देख वे चिंतित हो उठे। पूछा, ‘अर्जुन अब क्या हुआ। क्या अब फिर भाई को मारने का विचार आ गया।’
अर्जुन बोले – नहीं माधव, मैं स्वयं को ही समाप्त कर रहा हूं। मुझसे आज अपराध हो गया। धर्मराज के रूप में विख्यात अपने ही बड़े भाई का मैंने अपमान किया है। माधव, मुझे जीवित रहने का अधिकार नहीं है।

कृष्ण गंभीर होकर बोले, ‘अर्जुन तुम आज वास्तव में बच्चांे जैसा आचरण कर रहे हो। पहले भाई का वध कर पाप करने जा रहे थे, अब अपना वध करके महापाप करने जा रहे हो। मुझे नहीं लगता कि तुम धर्म का मर्म समझते हो। क्या तुम्हें पता नहीं कि किसी का वध कर कोई नरक का अधिकारी बनता है। उससे सौ गुणा कष्टदायक नरक की प्राप्ति उस व्यक्ति को होती है जो अपना ही अंत करता है।

‘फिर मैं क्या करूं, मेरे हृदय को शांति कैसे मिले। अर्जुन ने कृष्ण से पूछा।

‘सुनो’, कृष्ण बोले, अर्जुन जो आदमी अपनी तारीफ आप करता है। वह भी आत्महत्या के समान है। तुम मेरे समक्ष अपनी तारीफ करो। तुम्हारे भीतर का अपराध बोध समाप्त हो जाएगा।

अर्जुन ने कृष्ण के सामने अपनी तारीफ की और संतुष्ट हो गये। फिर कृष्ण की सलाह पर जाकर युधिष्ठिर से क्षमा मांगी। युधिष्ठिर ने क्षमादान तो दे दिया परंतु अब युधिष्ठिर बिगड़ गये और सब कुछ छोड़-छाड़ कर एकांतवास के लिए वन जाने पर अड़ गये।

कृष्ण ने अर्जुन की प्रतिज्ञा के बारे में और अब तक के सारे घटनाक्रम से युधिष्ठिर को अवगत कराया। साथ ही धर्म के मर्म को समझने और तदनुरूप व्यवहार करने का उनसे अनुरोध किया तो युधिष्ठिर की आंखों में आंसू आ गये और उन्होंने अर्जुन को गले लगा लिया और अनिष्ट से बचाने के लिए कृष्ण का आभार प्रकट किया।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.
Back to top button